धेनु शक्ति संघ

गो सेवा धर्म हमारा

जय गो माता
|| ॐ करणी ||
जय गुरुदाता

फाउंडेशन के सदस्य

साध्वी आराधना गोपाल सरस्वती दीदी जी - प्रधान संरक्षक

मार्गदर्शक मंडल

साध्वी श्री कपिला गोपाल सरस्वती दीदी जी
साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती दीदी जी
साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती दीदी जी
साध्वी दीदी जी
कुमारी राधिका गोपाल -​ अध्यक्ष
कुमारी श्यामा गोपाल - सचिव
कुमारी धेनु प्रिया गोपाल - कोषाध्यक्ष्य

हमारे बारे में संक्षिप्त में जानकारी

आज अपने देश में जन-जन के हृदय में राष्ट्रभक्ति को जाग्रत करने वाले अनेकों महिला राष्ट्रवादी संगठन है, जैसे दुर्गावाहिनी, राष्ट्रीय सेविका समिति, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय महिला संघ, भारतीय महिला संघ १९१७, महिला प्रगतिशील संघ १९१९, महिला स्वयंसेवी कोर आदि और भी कई संगठन है।
समय-समय पर जब हमारे देश में राष्ट्र-विरोधी, हमारे संस्कृति-विरोधी कोई भी हलचल होती है, तब यह संगठन मजबूती के साथ ऐसे तत्वों का विरोध करते है। महिलाओं के अनेकों जाति आधारित पंथ, आधारित क्षेत्र, आधारित कई धार्मिक संगठन भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर धर्म प्रचार, धर्म स्थल की सुरक्षा और विकास के लिए काम कर रहे हैं। जब भी धर्म स्थल पर विधर्मीयों या शासन की ओर से कोई हानि पहुँचानें का प्रयास किया जाता हैं, तब महिलाओं द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों आंदोलन किये जाते है और यह आंदोलन इतने कडे होते है कि शासन को भी घुटने टेकने पड़ते है। धर्मस्थल के विकास की बात आती है, तो भी माताएँ सहयोग करती कराती है, भाषागत, जातिगत, क्षेत्रीय, राजनीतिक, लिंगानुसार कई महिला संगठन अपने-अपने विचारों के साथ खड़े हैं, लेकिन गो-सेवा के क्षेत्र मे राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाला एक भी गो-सेवी महिला संगठन नहीं हैं, जो तन-मन-धन और शैक्षणिक दृष्टिकोण से सबल हो और वह निष्काम भाव से गो-सेवा और गो-रक्षा के कार्यों को आगे बढ़ाए। जब भी गौमाता की सेवा से जुड़े विभिन्न आयाम जैसे गौ-सेवा, गौ-रक्षा, गोचर से जुडी कोई समस्या, अनुदान संबधित समस्या, भूमि आवंटन से जुड़ी समस्या, गौ-भक्तों, गौ-रक्षकों, गौ-सेवकों और गौशाला संचालकों की बात आती है, तब उनके सह‌योग के लिये बहुत कम लोग आगे आते है, वो भी अधिकांश पुरुष ही होते हैं, शक्ति का अवतार मानी जाने वाली महिला नहीं होती है और होती हैं तो भी बहुत कम….. उस स्थिति में गौभक्त अपने आप को असहाय महसूस करते है। विशेष गोभक्त बहनें जो गोशाला गो-चिकित्सालय चला रही हैं या गो-रक्षा के काम में लगी हुई हैं। ऐसे भाई-बहन सहयोग हेतु पंचायत, नगरपालिका, तहसीलदारों, मंत्रीयों के पास मंत्रालयों, कार्यालयों में निरंतर चक्कर लगाते है, परन्तु गौभक्तों कि हृदय की पीड़ा पर भी शासकीय स्तर पर सहज सहयोग नहीं प्राप्त होता हैं। इसका परिणाम यह निकलता है, कि गो-सेवक निराश होकर किसी अन्य समाज सेवा या व्यापारिक कार्य में लग जाते है, परिणाम स्वरूप गौ-सेवा के कार्य को हानि होती है। गोवंश सड़कों पर भूखा-प्यासा भ्रमण करता हैं। गायमाताओं की दिन दहाड़े तस्करी होती है। सभी अभावग्रस्त और छोटे स्तर पर चल रही भूमिविहीन गौशालाओं में गोवंश हेतु अनुदान नहीं होने से चारा/पानी की कमी हो जाती हैं।
और भी गौ-सेवा के क्षेत्र में अनेकानेक समस्याएँ आती है। जैसे उद्योगीकरण के कारण, आधुनिकता के कारण तेज रफ्तार से ही रहे निर्माण कार्य के कारण गौमाताओं के गोचर खत्म होते जा रहे हैं। गोचर नहीं होने के कारण गोवंश राजमार्गों पर भूख/क्षुधा से व्याकुल होकर राजमार्गों पर भ्रमण करते हैं।
तेज रफ्तार से गाड़ी आती है और गौमाताएं सड़क हादसे की शिकार हो जाती है। समय पर इलाज नहीं होने के कारण गोवंश अपनी लीलापूर्ण करता है। कुछ अतिस्वार्थी कृषक गौवंश खेत में नहीं आवे, इस कारण सीधा सड़क से सटकर तारबंदी कर देते है, परिणामस्वरुप गौवंश को पर्याप्त चारा नहीं मिल पाता हैं और वह भूखा प्यासा भटकता रहता हैं। वर्तमान समय में गौ-सेवा के क्षेत्र में शासन की तरफ से कई राज्यों में उदासीनता दिखाई देती हैं। जैसे अनुदान नहीं मिलना, समय पर नहीं मिलना, पर्याप्त नहीं मिलना, तस्करों कसाइयों की सहज जमानत हो जाना, उनके वाहन छूट जाना, अदालती आदेश के कारण गोवंश वापस उनके क्रूर हाथों में लौटाना, ऐसी अनेकोनेक समस्याएँ वर्तमान समय में गौ-सेवा के क्षेत्र में गौभक्त भाई-बहनों के सामने आती है। गौमाता को किसी भी प्रकार का कोई भी कष्ट न हो, गौमाताओं को आहार, आश्रय, आदर, औषधि और आजादी प्राप्त हो, समय पर घास/जल की सुविधा उपलब्ध हो, गोचर पर मात्र गौवंश का विचरण हो, गौवंश का किसी भी प्रकार का अपमान न हो,  समय पर उपचार मिले, उचित निवास प्राप्त हो, इसलिये धेनु शक्ति संघ (DSS) 
का गठन किया गया है, जो देश-विदेश के सभी गो-सेवक भाई-बहनों के सहयोग हेतु संकल्पबद्ध है।

धेनु शक्ति संघ का विजन

Vision of Foundation:-
स्वतंत्रता आंदोलन एवं स्वराज स्थापना में जो भूमिका, जीजा माता, रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्या बाई होळकर, सावित्रीबाई फुले की रहीं, वो एतिहासिक एवं अविस्मरणीय रही!
आज भी माताएं देश में प्रशासकीय स्तर पर एवं राजनीतिक क्षेत्रों, राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दे रहीं हैं! मातओं की जो संघटनात्मक पद्धति से कार्य करने की क्षमता अद्भुत होती हैं एवं पुरुषों की तुलना मैं माताएँ अधिक गौमाता की प्रत्यक्ष रूप से सेवा करती हैं, गौमाता का आहार, गौमाता की सेवा- सफाई की ज्यादा जानकारी माताओं बहनो के पास होती हैं, गौमाता माँ है और गौमाता के भावों को मातृशक्ति से अधिक कौन समझ सकता है..इसलिए इस संघठन के निर्माण की आवश्यकता महसूस हुई।

गो सेवार्थ होने वाले सभी कार्यों में बने सहभागी