साध्वी श्री कपिला गोपाल सरस्वती दीदी जी

 

मेरा सामान्य परिचय

  1. नाम:- साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती गुरु गोपालाचार्य स्वामी गोपालानन्द जी सरस्वती
  2. जन्म दिनांक:- 22 दिसम्बर, 1991
  3. शरीर का पूर्व नाम:- कोयना राठौड
  4. प्राप्त शरीर का जन्म स्थान:- जलगांव, महाराष्ट्र
  5. एज्युकेशन:-
    1. Diploma in Computer engineering , Government polytechnic college,Jalgaon, Maharashtra
    2. Bachelor of engineering in Computer engineering,S.S.B.T. college of engineering and technology Jalgaon, Maharashtra
    3. M.D. in pachagavy therapy from Chennai

आध्यात्मिक शिक्षा:- परम पूज्य सदगुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गीता, वेदांत, रामायण और पुराणों का अध्ययन कर 2012 में लौकिक परिवार त्याग कर ब्रह्मचारी दीक्षा कालांतर में सन 2018 में संन्यास दीक्षा ली!

सामान्य लौकिक जीवन से अध्यात्म यात्रा:-
मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म दिनांक 22 दिसम्बर 1991 में महाराष्ट्र के जलगांव के सैनिक परिवार में हुआ। परिवारिक पृष्ठभूमि राष्ट्र भक्ति होने के कारण बचपन से ही राष्ट्र भक्ति वातावरण प्राप्त हुआ। (diploma in engineering) और B.tech की शिक्षा प्राप्त की क्षेत्र में जीवन आगे बढ़ रहा था। गौ-सेवा की बात करें, तो बचपन में एसा कभी-कभी एहसास होता था कि गौमाता से हमारा कोई पूर्व जीवन का रिश्ता है, l परन्तु उस रिश्ते को परिभाषित करना मुश्किल था!समय व्यतीत होने के पश्चात्, ईश्वर कृपा से जीवन में बदलाव आया और परम पूज्य गुरुदेव भगवान का सानिध्य प्राप्त हुआ। परम पूज्य श्री सदगुरुदेव भगवान की नव दिवसीय राम कथा का आयोजन जलगांव में हुआ और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से राम कथा के प्रसंग में गौ माता की अद्भुत महिमा का श्रवण किया, तब पहली बार एहसास हुआ कि वर्तमान समय में गौमाता की रक्षा एवं उनकी सेवा की कितनी आवश्यकता है। वर्तमान समय में अनगिनत गो वंस सड़को पर बिना आहर निर्बल अवस्था मे विचरण कर रहा है प्रतिदिन हजारों गौमाताएं कसाइयों के द्वारा वध शालाओ में काट दी जाती हैं, अनेकों गो संवेदन हीन मानव द्वारा फेंकी पोलीथीन खाकर प्राण त्याग देती हैं, मार्ग पर विचरण करने के कारण सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं, तथाकथित धर्मपरायण और सभ्य जनता की उपेक्षाओं की शिकार हो रही हैं, आहार औषधि और आश्रय हेतु यत्र तत्र भटकने की लीला कर रही हैं, यह सब गुरुदेव भगवान के द्वारा सुनकर गो प्रतिपालक क्षत्रपति शिवाजी महाराज की गोरव मयी भूमि महाराष्ट्र में गौमाता की दुर्दशा एवं सरेआम गौ हत्या देखकर, जीवन में पीड़ा होने लगी और जीवन गौ-सेवा की ओर मुडने लगा। इसी दरमियान पिताजी से आग्रह करके एक गौ माता घर पर लेकर आए और उनकी भावपूर्वक सेवा शुरू की गौ माता की सेवा के प्रभाव जीवन नजर आने लगे कॉलेज में अधिक क्रमांक लाने वाले विद्यार्थियों मैं स्थान होने के कारण बाहर की कंपनियों से जाॅब के लिए ऑफर आने लगे तब लगा की खूब अधिक राशि कमा करके परम पूज्य गुरुदेव भगवान के श्री चरणों में गोसेवा हेतु समर्पित करें परंतु जब यह भाव के गुरुदेव भगवान के चरणों में रखा तब गुरुदेव भगवान ने एक बहुत जीवन परिवर्तनीय शब्द कहे “गौ माता के लिए पैसे देने वाले बहुत है, क्या आप गौ माता के लिए जीवन दे सकते हैं? इसी एक प्रश्न ने जीवन को हमेशा हमेशा के लिए गोसेवा के पथ पर मोड लिया मन में ऐसे भाव जागृत हुए की लौकिक जगत की सुख सुविधाओं को छोड़कर संन्यास मार्ग का आश्रय लेते हुए भगवती गौ माता की सेवा में अपना जीवन बिताना चाहिए। इस विचार के बाद जीवन को गौमाता की सेवा में और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में समर्पित करने का पूरा मन बना लिया, परंतु हिंदूधर्म में संन्यास लेना अपने आप में चुनौती पूर्ण माना जाता है , और उसमें भी स्त्री शरीर होने के कारण यह थोड़ा मुश्किल हो जाता हैं, परंतु माता-पिता को मनाने के बाद 22 February 2012 को परम पूज्य गुरुदेव भगवान से शिंदखेडा जलगांव में ब्रह्मचारिणी दीक्षा ली..! गुरुदेव भगवान से गीता सत्संग सुनकर यह समझ में आया कि सच्ची निष्काम सेवा और प्रभु नाम का सुमिरन ही जीवन की सार्थकता है।

गो-सेवा के इस पवित्र कार्य ने मुझे वास्तविक शांति और शक्ति प्रदान की हैं। पहले गौ चेतना पदयात्रा में चल कर और बाद में विभिन्न कथाओं के माध्यम से गो महिमा प्रचार और बाद में गोशाला और गौ-चिकित्सालय संचालन विभिन्न गोसेवी संस्थाओं की गोशालाओ की सहायता करने काऔर प्रत्यक्ष गौ-सेवा करने का लाभ प्राप्त हुआ। पिछले कई वर्षों से गुरुदेव भगवान के मार्गदर्शन में गांव-गांव में भगवती गौमाता की महिमा स्थापित करने हेतु कार्य सतत् चल रहा है। अब तक लगभग 500 से अधिक गावों एवं शहरों में गौ कथा, गौ राम कथा, भागवत कथा , देव नारायण कथा,नामदेव कथा और नानी बाइ के मायरे के माध्यम से गौ श्रद्धा जगाने का सफल प्रयास हुआ है। गौ महिमा गान से प्रभावित होकर अब तक हज़ारों लोगों ने चाय काफ़ी से लेकर अफ़ीम ,गांजा , भांग , मदिरा सेवन जैसे व्यसन का त्याग किया है कई भाई बहनो ने गोव्रती बनने का सल्कल्प करते हुए भगवती गौमाता को अपने जीवन और भवन में स्थान दिया है। कथा से प्रेरित होकर १०० से स्थानों पर गोशालाओं गो सेवा केन्द्रों एवं गो चिकित्सालयों का निर्माण हुआ हैं।

जिम्मेदारियां:- वर्तमान में मुझे गुरुदेव भगवान की कृपा से निम्न सेवादायित्व प्राप्त हुआ हैं

  1. 43 नियमों का पालन करते हुए गो कृपा कथा के माध्यम से गो महिमा का प्रचार कर जन मानस को जागना
  2. दवा देवी फाउंडेशन के माध्यम से (गो उपचार- बिना विचार ) उद्देश्य मुख्य रूप से अभाव ग्रस्त क्षेत्र में मध्यम वर्गीय भाई बहनो द्वारा संचालित गो चिकित्सालय को निशुल्क गो औषधि उपलब्ध करवाना
  3. फर्स्ट एड बॉक्स उपलब्ध करवाना
  4. नव गो चिकित्सालय निर्माण हेतु सहयोग करवाना
  5. श्रेष्ठी जनों से अनुरोध कर गौ एंबुलेंस संचालित करवाना
  6. गो चिकित्सालय के लिए भूमि दाताओ को तैयार करना
  7. गौ चिकित्सक को श्रद्धा भाव से सेवा हेतु प्रशिक्षण देना
  8. परंपरागत गो चिकित्सा पद्धति को विकसित करना
  9. साशन और सामाजिक सहयोग से चारागाह विकास और उनकी सुरक्क्षा हेतु कार्य करना
  10. औषधीय पौधों पर अनुसंधान करना
  11. जन जागरण हेतु धार्मिक ,अध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन करवाना
  12. गो आधारित महिला एवं बाल विकास कार्य करना
  13. आयुर्वेदिक , allopathic, homeopathy दवाइयो पर अनुसंधान और निर्माण हेतु फार्मेसी की व्यवस्था करना
  14. गौ शल्य चिकित्सा उपकरण/ गौ चिकित्सा हेतु उपकरण उपलब्ध करवाने का प्रयास करना
  15. गो चिकित्सीय साहित्य प्रकाशन में सहयोग करना
  16. अभावग्रस्त गौशाला एवं गौ चिकित्सालय का समाज और शाशन सहयोग करवाना

कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:-

  1. पैरों में जूते-चप्पल नहीं पहनना।
  2. मोबाईल को स्पर्श नहीं करना।
  3. गोव्रती प्रसादी का ही प्रयोग करना।