साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती दीदी जी

 

मेरा सामान्य परिचय

  1. नाम:- साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती गुरु गोपालाचार्य स्वामी गोपालानन्द जी सरस्वती

  2. जन्मतिथि:- जन्म दिनांक 07 जून 1995 (ज्येष्ठ शुक्ल नवमी, महेश नवमी )

  3. शरीर का पूर्व नाम:- महिमा शर्मा

  4. प्राप्त शरीर का जन्म स्थान:- बडोदिया,बांसवाडा,राजस्थान

  5. एज्युकेशन:-
    1. Bachelor of Arts
    2. Bachelor of Education
    3. M.D. in Pachagavy Therapy from Chennai

आध्यात्मिक शिक्षा:- परम पूज्य सदगुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गीता, वेदांत, रामायण और पुराणों का अध्ययन कर 2015 में लौकिक परिवार त्याग कर ब्रह्मचारी दीक्षा कालांतर में सन 2018 में संन्यास दीक्षा ली!

सामान्य लौकिक जीवन से अध्यात्म यात्रा:-
मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म दिनांक 07 जून 1995 में राजस्थान के बडोदिया,बांसवाडा,के ब्राह्मण शिक्षक दपंती के यहाँ हुआ। शरीर के माता पिता और भाई राजकीय सेवा मे शिक्षक होने से परिवारिक पृष्ठभूमि शिक्षा जगत की रही इस कारण बचपन से ही शिक्षा का वातावरण प्राप्त हुआ। B.A,b.ed की शिक्षा प्राप्ती के क्षेत्र में जीवन आगे बढ़ रहा था।

गौ-सेवा की बात करें, सीधी गोसेवा प्राप्त नहीं हुई लेकिन बचपन से ही कभी-कभी एहसास होता था कि गौमाता से हमारा कोई जनम जनम का नाता है कई जन्मो का रिश्ता है, लेकिन रिश्ते को परिभाषित करना मुश्किल था!समय बीतता गया और कुछ काल पश्चात्, ईश्वर कृपा से जीवन में बदलाव आया और परम पूज्य गुरुदेव भगवान का सानिध्य प्राप्त हुआ। परम पूज्य श्री सदगुरुदेव भगवान की सप्त दिवसीय गो भागवत कथा का आयोजन प्राप्त शरीर की जन्म भूमि पर हुआ और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से गो भागवत कथा के प्रसंग में गौ माता की अद्भुत महिमा और वर्तमान कारुण्य स्थिति का श्रवण किया, तब पहली बार समज में आया की वर्तमान समय में गौमाता की रक्षा एवं उनकी सेवा की कितनी आवश्यकता है। आहर आश्रय ओसधी की कितनी आवश्यकता हे वर्तमान समय में अनगिनत गो वंश सड़कों पर अल्प आहार, अथवा अनाहार के कारण निर्बल अवस्था मे विचरण कर रहा है प्रतिदिन अनुमानतः गौमाताएं कसाइयों के द्वारा वध शालाओ में वध कर दी जाती हैं, अनेकों गो माताए मानव कहे जाने वाले संवेदन हीन असुरो द्वारा फेंकी पोलीथीन खाकर प्राण त्याग देती हैं, कोई आश्रय नहीं होने के कारण मार्ग पर विचरण कर रही गो माता सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं, वर्तमान में गोमाता किसान, गोपालक तथा तथाकथित ज्ञानी,विद्वान,धर्मपरायण भक्त और सभ्य जनता की उपेक्षाओं की शिकार हो रही हैं, आहार ,औषधि और आश्रय हेतु यत्र तत्र विचरण की लीला कर रही हैं, यह सब गुरुदेव भगवान के द्वारा सुनकर गौमाता की दुर्दशा एवं सरेआम गौ तस्करी के कई मामलों को देखकर , जीवन में पीड़ा होने लगी और जीवन गौ-सेवा की ओर मुडने लगा। इसी दरमियान माँ-पिताजी से आग्रह करके एक गौ माता घर पर सेवार्थ लेकर आए और उनकी भावपूर्वक सेवा शुरू की गौ माता की सेवा के फल स्वरूप सकारात्मक प्रभाव जीवन में नजर आने लगे कॉलेज में सर्वाधिक अंक लानेवाले विद्यार्थियों मे स्थान होने के कारण आगे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का मन बनाया। जब इसके लिए कोचिंग ज्वाइन करने के लिए गुरुदेव भगवान से परामर्श ली तब गुरुदेव भगवान ने परिवर्तनीय शब्द कहे नोकरी छोटी हो या बड़ी नोकरी तो नोकरी होती है ” दुनिया की नौकरी सब करते हैं गौ सेवा के माध्यम से ठाकुर जी की नौकरी करनी चाहिए.. ठाकुर जी की नौकरी कर पूरी दुनिया के मालिक बन सकते है इसी एक वाक्य ने जीवन को हमेशा हमेशा के लिए गोसेवा के पथ पर मोड लिया मन में ऐसे भाव जागृत हुए की लौकिक जगत की आलिप्शाओ को छोड़कर सन्यास मार्ग का आश्रय लेते हुए भगवती गौ माता की सेवा में अपना जीवन बिताना चाहिए। इस विचार के बाद जीवन को गौमाता की सेवा में और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में समर्पित करने का पूरा मन बना लिया, परंतु हिंदूधर्म में संन्यास लेना अपने आप में चुनौती पूर्ण माना जाता है , और उसमें भी कन्या स्वरूप होने के कारण यह थोड़ा मुश्किल हो जाता हैं, इकलौती कन्या होने के कारण प्रारंभ में भाई और पिताजी ना नुकुर रही लेकिन कुछ समय पश्चात शरीर की माँ और भोजाई के सकारात्मक सहयोग से भ्राता-पिता की भी अनुमति प्राप्त हो गई और 17 जुलाई 2015 को परम पूज्य ( दादा गुरु)दाता भगवान से बडोदिया,बांसवाडा में ब्रह्मचारिणी दीक्षा ली..!

गुरुदेव भगवान से वेदांत, गीता जी ,और प्रज्ञा चक्षु स्वामी शारदानंद जी के साहित्य सत्संग सुनकर यह समझ में आया कि सच्ची निष्काम गो सेवा और भगवति के सुमिरन से ही प्राप्त मानव जीवन सार्थक किया जा सकता है। गो-सेवा के इस पवित्र कार्य ने मुझे दिव्य शांति और सेवा की प्रबल शक्ति प्रदान की । और विभिन्न कथाओं के माध्यम से गो महिमा प्रचार और बाद में गो सेवा केंद्र,गोशालाओ गौ-चिकित्सालयों, विभिन्न गोसेवी संस्थाओं की तन मन धन से सहायता करने का और प्रत्यक्ष गौ-सेवा करने का लाभ प्राप्त हुआ। पिछले कई वर्षों से गुरुदेव भगवान के मार्गदर्शन में गांव-गांव में जन जन के हृदय में भगवती गौमाता की सुख और मोक्ष दायिनी महिमा स्थापित करने का कार्य सतत् चल रहा है।

अब तक लगभग 300 से अधिक गावों एवं शहरों में गौ कथा, गौ राम कथा, भागवत कथा ,करणी कथा और नानी बाइ के मायरे और अन्य सत्संग और पदयात्रा के माध्यम से गौ श्रद्धा जगाने का सफल प्रयास हुआ है। गौ महिमा गान से प्रभावित होकर अब तक हज़ारों लोगों ने चाय -कॉफ़ी ,बीड़ी-सिगरेट,गुटखा-तंबाकू से लेकर अफ़ीम ,गांजा , भांग , मदिरा सेवन जैसे व्यसन का त्याग किया है कई भाई बहनों ने शुद्ध गोव्रती बनने का संकल्प किया है और भगवती गौमाता को अपने मन, जीवन और भवन में स्थान दिया है। कथा से प्रेरित होकर कई स्थानों पर गोशालाओं गो सेवा केन्द्रों एवं गो चिकित्सालयों का निर्माण हुआ हैं।

जिम्मेदारियां:- वर्तमान में मुझे गुरुदेव भगवान की कृपा से निम्न सेवादायित्व प्राप्त हुआ हैं

  1. 43 नियमों का पालन करते हुए गो कृपा कथा के माध्यम से गो महिमा का प्रचार कर जन मानस को जागना
  2. दाता देवी फाउंडेशन(गो आराम,तभी विश्राम ) के माध्यम से मुख्य रूप से अभाव ग्रस्त क्षेत्र में गो चिकित्सालय का निर्माण करना अन्य संस्थाओं द्वारा गो चिकित्सालय निर्माण पर सहयोग करना
  3. गो आहार संग्रहालय का निर्माण करवाना
  4. जन और सासन सहयोग से गो संवर्धन केंद्र का निर्माण करवाना
  5. चारे एवं पानी की खेल का निर्माण करना
  6. ग्वाल एवं चिकित्सक कक्ष का निर्माण करना
  7. दुर्घटना ग्रस्त गो वंस हेतु बड़ी संस्थाओं और राजनीतिक फण्ड का उपयोग कर गो एंबुलेंस संचालित करवाना
  8. गो चिकित्सालय के लिए भूमि हेतु प्रेरित करना
  9. जन जागृति हेतु धार्मिक एवं आध्यात्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाना
  10. गो आधारित महिला एवं बाल विकास कल्याण कार्य करना
  11. अभाव ग्रस्त गोशाला एवं गो चिकित्सालय का सहयोग करना
  12. गो आधारित गुरुकुल और शैक्षिक कार्यों को सहयोग करना
  13. गो सेवा आधारित जनजाति कल्याण के कार्यों को करना

कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:-

  1. पैरों में जूते-चप्पल नहीं पहनना।
  2. मोबाईल को स्पर्श नहीं करना।
  3. गोव्रती प्रसादी का ही प्रयोग करना।