धेनु शक्ति संघ

गो सेवा धर्म हमारा

जय गो माता
|| ॐ करणी ||
जय गुरुदाता

कथा करवाने हेतु

भगवती गौमाता की कथा एवं अन्य कथाएं अपने गांव, नगर, महानगर, गौशाला में करवाने हेतु फॉर्म भरे

कथा करवाने हेतु व्यवस्थात्मक निर्देश :-
1. कथा करवाने हेतु आयोजक स्वयं सुव्यवस्थित टेंट एवं व्यवस्थित साउंड सिस्टम की व्यवस्था करें। 2. वक्ता के साथ आए संगीत कलाकार एवं यूट्यूब चैनल प्रसारण टीम के सात दिवस के खर्च की आयोजक व्यवस्था करें।
3. कथा के समय तथा कथा के उपरांत वक्ता से अनावश्यक चर्चा ना करें, समय पर शयन करने दें, क्योंकि वक्ता प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं।
4. वक्ता व्यासपीठ के स्थान पर गोमयपीठ पर बिराजते हैं, अतः व्यासपीठ शब्द का प्रयोग नहीं करें, गोमयपीठ शब्द का प्रयोग करें।
5. वक्ता जिस घर में निराश्रित गौमाता एवं नंदी बाबा को बांधा गया हो, गो-सेवा हो रही हो, उन्हीं के घर में पधरावणी करेंगे। 
(जिस घर में गोमाता विराजित करने की व्यवस्था नहीं हैं, तो वहाँ गौशाला में एक नव निराश्रित गोवंश अपने खर्च पर रख कर गो-सेवा करें।)
गोशाला या घर पर उसके द्वारा एक निराश्रित गौमाता की सेवा आवश्यक रूप से हो रही हो, उसी के घर में पधरावणी करावे।
6. जिस ग्राम/नगर में कथा हो रही हो, वक्ता को वहाँ के तीर्थ व मंदिर पर दर्शन हेतु ले जाए। 
7. वक्ता प्रतिदिन स्वाध्याय, धार्मिक साहित्य के साथ समाचार पत्र का अध्ययन करते हैं, अतः उबलब्धता करवाई जाये। 
8. कथा से पूर्व निकाली जाने वाली कलश यात्रा गौशाला से ही निकाले।
यदि गौशाला दूरी पर है, तो एक वाहन रैली गौशाला से प्रारंभ करें और कलश यात्रा कथा स्थल के समीप किसी मंदिर, सरोवर, सरिता से प्रारंभ कर दें। 
(नोट:-किसी  गांव में सार्वजनिक गोशाला नहीं है, तो ऐसी स्थिति में किसी निजी गोष्ठ से जहाँ गौमाता बिराजित हो, वहाँ से कलशयात्रा को प्रारंभ कर सकते है। जिस व्यक्ति के पास में 10 से 20 गौमाता हो, उस व्यक्ति के घर को पनघट से भी अधिक महत्व देना चाहिए और जिस गांव में 10 से 20 या उससे अधिक गौमाता किसी के घर पर नहीं है, तो कहीं पनघट पर गोमाता ले जाकर, गौमाता का पूजन कर, फिर वहाँ से कलश यात्रा प्रारंभ करनी चाहिए।)
9. कथा के दौरान वक्ता दो समय ही मुंह झूठा करते हैं । एक समय सुबह अन्न और शाम के समय फल एवं दूध लेते है। भोजन, फलाहार, किसी सात्विक गौभक्त के हाथ से बना हुआ, गौभक्त परिवार में बना हुआ ही पाते है।
यथासंभव सात्विक और पूर्ण गोव्रती लौकी, तुरोई, गिलकी, परमल, मूंग, मैथी, पालक, मखाना और गो कृषि अन्न की व्यवस्था करें। अन्न में भी यथासंभव प्रयास करें कि रोटी मक्का, बाजरा, ज्वार, दादर को मिक्स कर बनाई हो अथवा जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार की लेवें। गेहूं से यथासंभव बचना चाहिए। मिठाई में खीर, हलवा, लापसी बना सकते हैं। गरिष्ठ मिठाई नहीं बनाए। गर्मियों में खाने के लिए सरसों का तेल व सर्दियों में तिल का तेल काम में लेवें। हाथ के बिलौने का गोघृत ही प्रयोग करें।
10. कथा पंडाल में गायमाता का बिराजना अत्यंत आवश्यक है। गो पूजन के पश्चात ही कथा प्रारंभ हो पाएगी।  
11. नित्य कथा के पश्चात गोवर्ती प्रसादी ही वितरण करवाये। 
12. (1) पंडाल में प्रवेश करने वाले प्रत्येक श्रोता को पंचगव्य प्राशन करना आवश्यक है। 

(2) कथा स्थल पर प्रवेश करने वाले प्रत्येक श्रोता, कर्मचारी, अतिथि के गोबर, दही, गोमूत्र, मुस्ता, चंदन, गोरोचन के मिश्रण का तिलक अवश्य लगाना चाहिए। 
(तिलक लगाने एवं पंचगव्य प्राशन करने के बाद ही मंडप में प्रवेश देना चाहिए।)
13. आयोजक ध्यान रखें कि मंच पर भारतीय पोशाक अर्थात् धोती कुर्ता पहने सज्जन और सनातनी वस्त्र पहनने वाली महिला ही आए।
14. कथा पंडाल और आसपास के स्थान पर सभी प्रकार के व्यसन का प्रयोग प्रतिबंधित होना चाहिए। (चाय कॉफ़ी पर भी प्रतिबंध हो)
15. कथा में आए हुए सभी संतों का यथोचित सम्मान करें और करवाए। जो संत आशीर्वचन उद्बोधन की रुचि रखते हों, उन्हें अपनी बात रखने का समय प्रदान करें।
16. वक्ता कथास्थल पर समय पर, जो समय पत्रक/पोस्टर/ बैनर/ निमंत्रण पत्र में लिखा हो उससे 7 मिनट पहले ही पधारते है। अतः  पत्रक में वास्तविक समय ही लिखें।
17. कथा प्रारंभ होने से पहले गौमाता एवं स्थापित देवी देवताओं का पूजन गोव्रती पंडित जी से करवाये। पंडित जी गोव्रती नहीं होने पर पूजन  गोव्रती यजमान से करवाए।
18. कथा पंडाल में किसी भी प्रकार के जलपान, दूध, फल, रस इत्यादि का वितरण कथा के समय नहीं होना चाहिए। गोव्रती दूध, खीर, रबड़ी, आइसक्रीम, लस्सी इत्यादि खाद्य पदार्थों का वितरण कर सकते हैं, परंतु कथा की आरती के पश्चात करें।
19.  आयोजक महिला कथा वक्ता का किसी धार्मिक सद्गृहस्थ परिवार में, जहाँ माता-बहनें रहती हो, वही निवास रखे, एकांत सार्वजनिक स्थान पर नहीं रुकवाए। उनके साथ किसी महिला को रखें। 
20. वक्ता प्रतिदिन कथा के दौरान, वहाँ की स्थानीय गौशाला में पधारते हैं। स्वयं अपने हाथ से गौ-सेवा करें, गोबर उठाते हैं। अतः आयोजक इस प्रकार की व्यवस्था बनाए ।
(कारणवश प्रथम दिन छुट सकता है, परंतु शेष दिन इसका पालन अवश्य करें।)
21. आयोजक महिला वक्ता के आवास पर उनके कक्ष में पुरुषों का प्रवेश नहीं होने दे।
(कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए कक्ष से बाहर कोई खुले बड़े स्थान पर व्यवस्था रखें।) 
22. महिला वक्ता हेतु कथा में आते-जाते समय अथवा आसपास कहीं पर भी प्रवास करें, तब उनके साथ में किसी माता बहन को अवश्य भेजे।
 23. वक्ता कथा के चार घंटे पूर्व मौन धारण करते है एवं कथा प्रारंभ होने के 5 मिनट पहले अपने मौन को खोलते है तथा कथा पूर्ण होने के 1 घंटे बाद पुनः दो घंटे का मौन धारण करते हैं। कुल ६ घंटा मौन रहते हैं, उसके अनुरूप व्यवस्था करें। 
24.  रसीद, दान पात्र, और झोली के पैसे कथा जिस गांव में हो रही है, वहाँ गोशाला में जमा कराए। आरती की थाली नहीं घुमाए।