साध्वी आराधना गोपाल सरस्वती दीदी जी

 

मेरा सामान्य परिचय

  1. नाम:- साध्वी आराधना गोपाल सरस्वती – गुरू गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी

  2. जन्मतिथि:- 18 नवंबर 1998

  3. शरीर का पूर्व नाम:- कल्पना कुमारी लोधा

  4. शरीर का जन्म स्थान:- बल्देवपुरा, तहसील- मनोहरथाना, जिला- झालावाड़, राजस्थान

  5. लौकिक शिक्षा:- कक्षा 11वीं तक

आध्यात्मिक शिक्षा:- परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गीता, वेदांत, रामायण और पुराणों का अध्ययन कर वर्ष 2015 में गृह त्याग कर संन्यास लिया।

सामान्य लौकिक जीवन से अध्यात्म यात्रा:-

मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म तिथि -18 नवंबर 1998 में झालावाड़ जिले के मनोहरथाना तहसील के बल्देवपुरा में एक क्षत्रिय शिक्षक परिवार में हुआ। परिवार में आध्यात्मिक वातावरण दर्शन बचपन से ही था। पूजा पाठ करना, व्रत-अनुष्ठान करना, मंदिर जाना, कथा श्रवण करना, यह बचपन से ही माता-पिता के द्वारा दिए संस्कारों सिखाया गया। बाल्यकाल से ही भगवती गौमाता की सेवा करने का पुण्यमयी शुभ अवसर प्राप्त हुआ। भगवती गौ माता जी ने मुझ पर कृपा करके अपनी सेवा प्रदान की। नित्य गौमाता का गोमय उठाने की सेवा, नित्य गौचारण की सेवा, नित्य गौमाता को प्रसादी जिमाने की सेवा का लाभ बाल्यावस्था से ही प्राप्त हुआ, परन्तु भाव सकाम था। जीवन में निष्काम भाव से गौ-सेवा के प्रति समर्पित होने के भाव परम पूज्य गुरुदेव भगवान का सानिध्य प्राप्त होने के बाद ही जाग्रत हुए। 11वीं कक्षा में अध्ययन चल ही रहा था, कि उसी दौरान परम पूज्य गुरुदेव भगवान के माध्यम से चल रही विश्व की सबसे पहली लम्बी व सबसे बड़ी पदयात्रा “”31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा(हल्दीघाटी से संपूर्ण भारतवर्ष)”” का आगमन बलदेवपुरा गांव में हुआ। पदयात्रा के दौरान परम पूज्य गुरुदेव भगवान के पहली बार दर्शन और उनकी वाणी श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से गौमाता की दिव्य महिमा करूण लीला व्यथा को सुनकर मन में ऐसा भाव आया कि वर्तमान समय में गौ माता की महिमा जानने की गो रक्षा एवं गो सेवा की महती आवश्यकता है। वर्तमान समय में करोड़ों गोमाताएं निराश्रित विचरण कर रही है, हजारों गौमाताएं कसाइयों के द्वारा काट दी जाती है, अनेक गोमाताए पॉलिथीन खाकर प्राण त्याग देती है, कई गोमाताएं सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाती है, साथ ही साथ धर्मपरायण जनता की उपेक्षाओं का शिकार भी हो रही है, आहार औषधि और आश्रय हेतु यत्र-तत्र भटकने की दु:ख लीला कर रही है, यह सब देख सुनकर गुरुदेव भगवान की प्रेरणा से जीवन निष्काम गौ-सेवा की और मुड़ने लगा। मन में निश्चय किया कि अब मोह माया, सांसारिक बंधन और विलासी जीवन छोड़कर, गुरुदेव भगवान के सानिध्य में, गोमाता की सेवा में जीवन समर्पित करना चाहिए और अध्यात्म और गो-सेवा कार्य की तरफ बढ़ने का पुरा मन बना लिया। मैंने अपना यह निर्णय माता-पिता व परिवारजनों के समक्ष रखा, लेकिन उन्हें मेरा यह निर्णय तनिक नहीं भाया बिल्कुल भी रास नहीं आया और मनाही कर दी, फिर भी मन का निश्चय अटल रहा और भगवती गौमाता की असीम कृपा से मात्र एक माह में माता-पिता व परिवारजनों को विनयपूर्वक समझाकर उनसे अनुमति प्राप्त कर 11वीं की परीक्षा देकर 8 मई 2015 में 17 वर्ष की आयु में, मैंनें परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। गुरुदेव भगवान के सानिध्य में आकर गौ-सेवा के कई नए अनुभव हुए हैं।

गुरुदेव भगवान की कृपा से यह समझ में आया कि सच्ची सेवा और समर्पण ही जीवन की सार्थकता है। गो-सेवा के इस पवित्र कार्य ने मुझे वास्तविक शांति और शक्ति प्रदान की हैं। गुरुदेव भगवान व गोमाता का ऐसा आशीर्वाद और कृपा रही की जीवन में कभी माइक हाथ में नहीं लिया, कभी कुछ नहीं बोला था, परन्तु गुरूदेव भगवान की कृपा से संन्यास मार्ग पर आने के बाद हजारों लोगों के सामने भय रहित होकर बोलने का सामर्थ्य प्राप्त हुआ। एक भी शब्द बोल पाने का सामर्थ्य न होने के बावजूद गुरुदेव भगवान का जैसे ही आदेश हुआ की गौ माता की महिमा का प्रचार करना है, उसी दिन गुरुदेव भगवान की कृपा से पहली बार मंच पर बोलने का अवसर प्राप्त हुआ। गौमाता व गुरुदेव भगवान की कृपा से 7 दिन की गोकथा सहज ही सम्पन्न हो गई, मेरे जीवन का सबसे बड़ा गौ-सेवा और गुरु सेवा का चमत्कार पहली बार हुआ था। और फिर उसके पश्चात गुरुदेव भगवान की आज्ञानुसार पिछले कई वर्षों से गुरुदेव भगवान के मार्गदर्शन में गांव-गांव में भगवती गौमाता की महिमा स्थापित करने हेतु कार्य सतत् चल रहा है।
अब तक लगभग 200 से अधिक गांवों एवं शहरों में गौ कथा, गौ राम कथा, भागवत कथा, शिव महापुराण की कथा, नानी बाई का मायरा के माध्यम से गौ श्रद्धा जगाने का प्रयास किया और काफ़ी हद तक सफलता भी प्राप्त हुई । गौ महिमा गान से प्रभावित होकर के अब तक हजारों लोगों ने व्यसन मुक्त गोव्रती जीवन धारण करते हुए भगवती गौमाता को अपने ह्रदय में और अपने घरों में स्थान दिया है।
कथा से प्रेरित होकर के कई स्थानों पर गोशालाओं का नव निर्माण हुआ हैं। कई जगह जीर्णोद्धार हुआ हैं। कई जगह विकास हुआ है

जिम्मेदारियां:- वर्तमान में मुझे गुरुदेव भगवान की कृपा से निम्न सेवादायित्व प्राप्त हुआ हैं

  1. 43 नियमों का पालन करते हुए गो कृपा कथा के माध्यम से गो महिमा का प्रचार करना।
  2. दाना देवी फाउंडेशन के माध्यम से
    (1) अभावग्रस्त गो चिकित्सालयों में गाय माता के लिए चारा, बांटा, दाना पहुंचाना।
    (2) अभावग्रस्त ग्रस्त गो चिकित्सालयों में बीमार व दुर्घटनाग्रस्त गौ माताओं के लिए पौष्टिक आहार पहुंचाना।
    (3) श्री शीतल आश्रम, स्थान-पुष्कर, तहसील-पुष्कर, जिला-अजमेर, राज्य-राजस्थान का संपूर्ण क्रियान्वयन करना।
    (4) श्री कामधेनु गोपाल गौशाला सेवा संस्थान,स्थान- सुमेल, पाली की व्यवस्था।
    (5) टोडरी जगन्नाथ में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से संपन्न गो चिकित्सालय का निर्माण करना।

कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:-

  1. पैरों में जूते-चप्पल नहीं पहनना।
  2. मोबाईल को स्पर्श नहीं करना।
  3. गोव्रती प्रसादी का ही प्रयोग करना।