कुमारी श्यामा गोपाल

 
जीवन परिचय 
नाम:- कुमारी श्यामा गोपाल 
जन्म दिनांक:- 5 मार्च 2000
जन्मतिथि:- (चतुर्दशी फाल्गुन मास)
जन्म स्थान:- बूंदी (राजस्थान)
लौकिक शिक्षा:- 12वीं कक्षा तक 
आध्यात्मिक शिक्षा:- परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गौ-कथा, श्रीमद्भगवत गीताजी, साधन निधि, वेदांत सत्संग का अध्ययन-श्रवण वर्ष 2024 में किया।
 
सामान्य जीवन से आध्यात्म यात्रा:-
प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म दिनांक 5 मार्च 2000 को राजस्थान के बूंदी जिले के सामान्य किसान परिवार में हुआ। बाल्यावस्था से ही अपने पिताजी को गौ-सेवा करते देख मेरे हृदय में गौमाता की सेवा का बीजाकुंर हुआ। पूर्वजन्म के पुण्यकर्मों के प्रभाव से बचपन गौमाताओं के मध्य ही बीता। गौमाताजी की सेवा का सौभाग्य माँ ने कृपा करके प्रारम्भ से ही प्रदान किया। एक बार गौमाता के आश्रय स्थल स्थापित करने हेतु चल रहे संघर्ष में मेरे पिताजी के संग मैं भी सम्मिलित हुई तथा उस दौरान मेरी भेंट दो गौभक्त बहिनों से हुई, जिनका संपूर्ण जीवन गौमाता जी को समर्पित था। उन बहनों के गौ-सेवा के अत्यंत समर्पित भाव को देखकर मेरे मन के गौ-सेवा एवं गौ-रक्षा के भावों को और अधिक बल मिला। उन बहनों के संग मिलकर मैंने अपने जीवन की इस सेवा यात्रा को मजबूती से प्रारंभ किया। मैं उन बहनों के साथ गौमाता की चिकित्सा सेवा के लिए गांव-गांव जाने लगी। मन में सेवा के भाव तो अत्यंत प्रबल थे, परंतु आने-जाने के लिए वाहन की व्यवस्था न होने के कारण कई बार गौमाताओं को पीड़ा सहनी पडती थी, यह देख मन में बहुत पीड़ा होती थी। हमारी इस पीड़ा को हमने आजाद हिंद गौशाला के गौभक्त भाइयों के सामने कहा, तो उन्होंने हमारे इस सेवा कार्य हेतू वाहन की व्यवस्था कर दी।
माँ के आशीर्वाद से अब माँ की सेवा बिना किसी बाधा के होने लगी। सेवा के साथ-साथ माँ की रक्षा करने का कार्य करने का पुनीत कार्य भी अब जोर शोर से आगे बढ़ने लगा। गौ तस्करों से एंव कसाइयों से गौमाता की रक्षा करना, दुर्घटनाग्रस्त गौमाता की चिकित्सा करना, गौमाता को उनकी पीड़ा लीला से मुक्त करना…यही सब कार्य अब मेरे जीवन का जैसे एक मात्र लक्ष्य बन चुका था।
गौमाता की सेवा/रक्षा का कार्य और गति से हो सके इस हेतु परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान के श्री चरणों में आश्रय लिया। गुरुदेव भगवान की सेवा में प्रस्तुत होकर के, उनका मार्गदर्शन पाकर के जीवन के सारे सकाम भावों का शमन हुआ और  यदि कुछ शेष रहा तो सिर्फ और सिर्फ निष्काम गौ सेवा का भाव…
तन, मन, धन, वाणी, वचन, कर्म,  हर प्रकार से गौमाता की सेवा हो, इसी भाव से पूज्य सद्गुरुदेव भगवान के सानिध्य में साप्ताहिक गौ कृपा कथा का अध्ययन प्रारंभ किया।
 
जिम्मेदारियां:-
1. 43 नियमों का पालन करते हुए गो कृपा कथा के माध्यम से गो महिमा का प्रचार करना।
 
कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:-
1. गोव्रती प्रसादी का ही प्रयोग करना।
2. पूर्ण व्यसन मुक्त जीवन।
3. गोबर उठाये बिना और गो ग्रास किए बिना भोजन नहीं करना।